हरित भारत मिशन (जीआईएम) | Green India Mission | Harit Bharat Mission | हरित भारत योजना
भारत, एक ऐसा देश जो अपनी समृद्ध जैव विविधता, प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए विश्व भर में जाना जाता है, आज जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, और पर्यावरणीय क्षरण जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है। इन समस्याओं से निपटने के लिए भारत सरकार ने कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें से एक है हरित भारत मिशन (Green India Mission - GIM)। यह मिशन राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (National Action Plan on Climate Change - NAPCC) के तहत शुरू किए गए आठ मिशनों में से एक है। इसका उद्देश्य भारत के घटते वन आवरण की रक्षा, पुनर्स्थापन, और वृद्धि करना, साथ ही जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अनुकूलन और शमन उपायों को लागू करना है। यह निबंध हरित भारत मिशन के विभिन्न पहलुओं, जैसे इसके उद्देश्य, कार्यान्वयन, चुनौतियां, और महत्व पर विस्तृत चर्चा करेगा।
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हरित भारत मिशन का परिचय
हरित भारत मिशन को फरवरी 2014 में औपचारिक रूप से शुरू किया गया था, हालांकि इसका विचार 2008 में NAPCC के तहत सामने आया था। यह मिशन जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की व्यापक नीतिगत रूपरेखा का हिस्सा है। NAPCC में शामिल आठ मिशनों में से हरित भारत मिशन का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भारत की प्राकृतिक संपदा, विशेष रूप से वनों और पारिस्थितिकी तंत्र, को संरक्षित करने और बढ़ाने पर केंद्रित है।
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Green India Mission |
हरित भारत मिशन का दृष्टिकोण केवल वृक्षारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है, जिसमें जैव विविधता, जल संरक्षण, बायोमास, मैंग्रोव, आर्द्रभूमि, और कार्बन पृथक्करण जैसे कई पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को शामिल किया गया है। मिशन का लक्ष्य भारत के वन क्षेत्र को बढ़ाकर देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 33% करना है, जो वर्तमान में लगभग 23-24% है। इसके अतिरिक्त, यह मिशन स्थानीय समुदायों की भागीदारी को प्रोत्साहित करता है ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ उनकी आजीविका को भी सुरक्षित किया जा सके।
हरित भारत मिशन Highlights
विशेषता | विवरण |
---|---|
उद्देश्य | 5 मिलियन हेक्टेयर वन और गैर-वन भूमि पर वन आवरण बढ़ाना और 5 मिलियन हेक्टेयर वनों की गुणवत्ता में सुधार। |
जलवायु परिवर्तन | कार्बन पृथक्करण और जलवायु अनुकूलन के माध्यम से पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करना। |
सामुदायिक भागीदारी | स्थानीय समुदायों, विशेषकर जनजातीय और वनवासियों की आजीविका को बढ़ावा देना। |
पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन | हिमालय, पश्चिमी घाट, अरावली, और मैंग्रोव जैसे संवेदनशील क्षेत्रों का संरक्षण। |
उप-मिशन | पांच उप-मिशन और एक हस्तक्षेप, जो वन प्रबंधन, शहरी वृक्षारोपण, और जलवायु शमन पर केंद्रित। |
वैज्ञानिक दृष्टिकोण | रिमोट सेंसिंग, GIS, और स्थान-विशिष्ट रणनीतियों का उपयोग। |
वित्तीय समर्थन | CAMPA और केंद्र-राज्य (60:40) सहयोग के माध्यम से कार्यान्वयन। |
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हरित भारत मिशन के उद्देश्य
हरित भारत मिशन के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- वन और वृक्ष आवरण में वृद्धि: मिशन का प्राथमिक उद्देश्य 5 मिलियन हेक्टेयर वन और गैर-वन भूमि पर वन आवरण बढ़ाना है। साथ ही, यह 5 मिलियन हेक्टेयर वन क्षेत्र की गुणवत्ता में सुधार करने का लक्ष्य रखता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का संरक्षण: मिशन जैव विविधता, जल, बायोमास, मैंग्रोव, और आर्द्रभूमि जैसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को संरक्षित करने और बढ़ाने पर ध्यान देता है। यह कार्बन पृथक्करण को एक सह-लाभ के रूप में देखता है।
- जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन और शमन: मिशन का लक्ष्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए अनुकूलन और शमन उपायों को लागू करना है। यह भारत की पेरिस समझौते के तहत निर्धारित राष्ट्रीय योगदान (NDCs) को पूरा करने में योगदान देता है, जिसमें 2030 तक 2.5-3 बिलियन टन CO₂ समतुल्य का अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाना शामिल है।
- आजीविका सुरक्षा: मिशन का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य वन-आधारित समुदायों, विशेष रूप से जनजातीय और वनवासियों की आजीविका को सुरक्षित करना है। यह स्थानीय समुदायों को वृक्षारोपण, वन प्रबंधन, और अन्य पर्यावरणीय गतिविधियों में शामिल करके उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्स्थापन: मिशन का उद्देश्य अरावली, पश्चिमी घाट, हिमालय, और मैंग्रोव जैसे संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्रों का पुनर्स्थापन करना है। यह सूक्ष्म-पारिस्थितिकी (माइक्रो-ईकोसिस्टम) आधारित दृष्टिकोण अपनाता है।
हरित भारत मिशन की विशेषताएं
हरित भारत मिशन की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- समग्र दृष्टिकोण: मिशन केवल वृक्षारोपण पर ध्यान नहीं देता, बल्कि यह पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र प्रबंधन पर जोर देता है। यह जैव विविधता, जल, और कार्बन संग्रहण जैसे पहलुओं को शामिल करता है।
- स्थानीय समुदायों की भागीदारी: मिशन में स्थानीय समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका है। योजना, निर्णय लेने, कार्यान्वयन, और निगरानी में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।
- क्रॉस-सेक्टरल दृष्टिकोण: मिशन सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की भूमि पर लागू होता है, जिससे यह एक एकीकृत और समन्वित दृष्टिकोण अपनाता है।
- निगरानी तंत्र: मिशन की निगरानी चार स्तरों पर की जाती है, जिसमें स्थानीय समुदायों द्वारा स्व-निगरानी, रिमोट सेंसिंग, भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS), और तृतीय-पक्ष निगरानी शामिल है।
- संशोधित योजना (2021-2030): 17 जून 2025 को विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस के अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने संशोधित हरित भारत मिशन योजना जारी की। यह योजना अरावली, पश्चिमी घाट, हिमालय, और मैंग्रोव जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के लिए वैज्ञानिक और स्थान-विशिष्ट पुनर्स्थापन रणनीति पर केंद्रित है।
हरित भारत मिशन के उप-मिशन
हरित भारत मिशन के तहत पांच उप-मिशन और एक हस्तक्षेप निर्धारित किए गए हैं, जो अनुकूलन और शमन उपायों को एकीकृत करते हैं:
- SM-1: वन आवरण की गुणवत्ता में सुधार: इस उप-मिशन का उद्देश्य मौजूदा वनों की गुणवत्ता को बढ़ाना और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में सुधार करना है।
- SM-2: पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्स्थापन: यह उप-मिशन क्षतिग्रस्त वनों और गैर-वन क्षेत्रों में वन आवरण को बढ़ाने और पुनर्स्थापन पर केंद्रित है।
- SM-3: शहरी और उप-शहरी क्षेत्रों में वृक्ष आवरण: इस उप-मिशन के तहत शहरी और संस्थागत भूमि पर वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाता है।
- SM-4: आजीविका आधारित वन प्रबंधन: यह उप-मिशन वन-आधारित समुदायों की आजीविका को सुरक्षित करने के लिए वन प्रबंधन और गैर-लकड़ी वन उत्पादों (NTFP) पर ध्यान देता है।
- SM-5: जलवायु अनुकूलन और शमन: यह उप-मिशन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और अनुकूलन उपायों को लागू करने पर केंद्रित है।
- हस्तक्षेप: कार्बन सिंक निर्माण: यह हस्तक्षेप भारत के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने पर केंद्रित है।
हरित भारत मिशन का कार्यान्वयन
हरित भारत मिशन का कार्यान्वयन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा किया जाता है। मिशन की राष्ट्रीय संचालन परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण मंत्री करते हैं। यह मिशन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के अनुपात में एक क centrally sponsored scheme के रूप में लागू किया जाता है।
मिशन के कार्यान्वयन में निम्नलिखित रणनीतियां शामिल हैं:
- वृक्षारोपण और पुनर्वनीकरण: मिशन के तहत परती भूमि, रेलवे पटरियों, और राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे वृक्षारोपण किया जाता है। यह भारत के वन क्षेत्र को बढ़ाने में मदद करता है।
- सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से जनजातीय और वनवासियों, को वृक्षारोपण और वन प्रबंधन में शामिल किया जाता है। यह उनकी आजीविका को बढ़ावा देता है और मिशन के प्रति उनकी जवाबदेही को सुनिश्चित करता है।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण: मिशन सूक्ष्म-पारिस्थितिकी आधारित दृष्टिकोण अपनाता है, जो संवेदनशील क्षेत्रों जैसे हिमालय, अरावली, और पश्चिमी घाट के लिए विशेष रणनीतियां विकसित करता है।
- CAMPA के साथ समन्वय: मिशन को वन संरक्षण अधिनियम (CAMPA) के तहत प्राप्त धनराशि से समर्थन मिलता है, जो वन भूमि के संरक्षण और पुनर्स्थापन के लिए उपयोग किया जाता है।
हरित भारत मिशन की उपलब्धियां
हरित भारत मिशन ने अपने प्रारंभिक वर्षों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं:
- वन क्षेत्र में वृद्धि: भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का वन क्षेत्र 156.41 वर्ग किमी बढ़ा है, जिसमें GIM का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।
- कार्बन सिंक निर्माण: मिशन ने कार्बन पृथक्करण में योगदान दिया है, जो भारत के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक है।
- आजीविका में सुधार: मिशन ने वन-आधारित समुदायों को गैर-लकड़ी वन उत्पादों और अन्य पर्यावरणीय गतिविधियों के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान की है।
- संवेदनशील क्षेत्रों का पुनर्स्थापन: मिशन ने हिमालय, मैंग्रोव, और पश्चिमी घाट जैसे क्षेत्रों में पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्स्थापन में प्रगति की है।
हरित भारत मिशन की चुनौतियां
हरित भारत मिशन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
- वित्तीय कमी: लोकसभा की प्राक्कलन समिति की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, मिशन को पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण इसके कुछ लक्ष्य पूरे नहीं हो सके।
- अनुचित वृक्षारोपण: कुछ क्षेत्रों में अनुचित वृक्षारोपण के कारण जैव विविधता को नुकसान पहुंचा है और सूखे की स्थिति उत्पन्न हुई है।
- समन्वय की कमी: विभिन्न सरकारी योजनाओं और मिशनों के बीच समन्वय की कमी के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन की आशंका रहती है।
- जागरूकता की कमी: स्थानीय समुदायों में पर्यावरण संरक्षण और मिशन के महत्व के बारे में जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती है।
हरित भारत मिशन का महत्व
हरित भारत मिशन का महत्व निम्नलिखित कारणों से है:
- जलवायु परिवर्तन से निपटना: यह मिशन भारत को पेरिस समझौते के तहत अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
- जैव विविधता संरक्षण: यह मिशन भारत की समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- आर्थिक लाभ: वन-आधारित समुदायों की आजीविका को बढ़ावा देकर मिशन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है।
- सतत विकास: यह मिशन सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में योगदान देता है, विशेष रूप से जलवायु कार्रवाई और स्थलीय जीवन से संबंधित लक्ष्यों को।
भविष्य की दिशा
हरित भारत मिशन का संशोधित संस्करण (2021-2030) भारत के पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिशन निम्नलिखित क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित करेगा:
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण: संवेदनशील क्षेत्रों के लिए स्थान-विशिष्ट रणनीतियां विकसित की जाएंगी।
- तकनीकी नवाचार: रिमोट सेंसिंग और GIS जैसे उपकरणों का उपयोग मिशन की निगरानी और कार्यान्वयन में किया जाएगा।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: मिशन को वैश्विक पर्यावरणीय पहलों के साथ जोड़ा जाएगा ताकि भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को मजबूती मिले।
निष्कर्ष / Conclusion
हरित भारत मिशन भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी पहल है, जो जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, और पर्यावरणीय क्षरण जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए समर्पित है। यह मिशन न केवल भारत के वन क्षेत्र को बढ़ाने और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्स्थापित करने का प्रयास करता है, बल्कि स्थानीय समुदायों की आजीविका को भी सुरक्षित करता है। हालांकि, वित्तीय संसाधनों की कमी और समन्वय की चुनौतियां मिशन के सामने बाधाएं हैं, लेकिन इसके संशोधित संस्करण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भविष्य में सकारात्मक परिणामों की उम्मीद की जा सकती है।
हरित भारत मिशन भारत को एक हरित, स्वच्छ, और सतत भविष्य की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास और वैश्विक जलवायु नेतृत्व के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
हरित भारत मिशन (जीआईएम) FAQ
Q. हरित भारत मिशन क्या है?
हरित भारत मिशन (Green India Mission - GIM) राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) के तहत एक पहल है, जिसका उद्देश्य भारत के वन आवरण को बढ़ाना, पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्स्थापित करना, और जलवायु परिवर्तन से निपटना है।
Q. हरित भारत मिशन के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
वन और वृक्ष आवरण में वृद्धि, जैव विविधता संरक्षण, कार्बन पृथक्करण, जलवायु अनुकूलन, और वन-आधारित समुदायों की आजीविका सुरक्षा।
Q. इस मिशन का कार्यान्वयन कौन करता है?
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा, केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से।
Q. हरित भारत मिशन के तहत कितने उप-मिशन हैं?
पांच उप-मिशन और एक हस्तक्षेप, जो वन प्रबंधन, पुनर्स्थापन, और जलवायु अनुकूलन पर केंद्रित हैं।
Q. मिशन का लक्ष्य क्या है?
5 मिलियन हेक्टेयर वन और गैर-वन भूमि पर वन आवरण बढ़ाना और 5 मिलियन हेक्टेयर वनों की गुणवत्ता में सुधार करना।