एक पेड़ माँ के नाम 2.0 अभियान 2025 | Ek Ped Maa Ke Naam: पर्यावरण संरक्षण और मातृत्व के प्रति श्रद्धांजलि का अनूठा संगम

एक पेड़ माँ के नाम 2.0 अभियान 2025 | Ek Ped Maa Ke Naam 2.0' Campaign | एक पेड़ माँ के नाम 2.0 | Essay on Ek Ped Maa Ke Naam 2.0 | Ek Ped Maa Ke Naam campaign

‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान भारत में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने और मातृत्व के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक अनूठा प्रयास है। इस अभियान की शुरुआत पहली बार 5 जून, 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी, और 2025 में इसका दूसरा चरण शुरू हुआ। यह अभियान न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का एक माध्यम है, बल्कि यह माताओं और धरती माता के बीच एक भावनात्मक और सांस्कृतिक संबंध स्थापित करता है। यह लेख ‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान 2025 के उद्देश्यों, कार्यान्वयन, प्रभाव और महत्व पर विस्तार से चर्चा करता है।

{tocify} $title={Table of Contents}

एक पेड़ माँ के नाम 2.0 अभियान 2025

"एक पेड़ माँ के नाम 2.0 अभियान 2025" एक महत्वाकांक्षी पर्यावरणीय पहल है, जिसका उद्देश्य पेड़ लगाकर प्रकृति और मातृत्व को सम्मान देना है। यह अभियान 2025 में और भी व्यापक स्तर पर चलाया जाएगा, जिसमें लोगों को अपनी माँ के नाम पर पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसका मुख्य लक्ष्य हरित आवरण बढ़ाने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी समस्याओं से लड़ना है। 

Ek Ped Maa Ke Naam 2.0
Ek Ped Maa Ke Naam 2.0

यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगी, बल्कि माताओं के प्रति सम्मान और प्यार का भी प्रतीक बनेगी। स्कूल, कॉलेज, सामाजिक संगठन और सरकारी संस्थाएं इस अभियान से जुड़कर इसे जन आंदोलन बना सकते हैं। हर व्यक्ति द्वारा लगाया गया एक पेड़ भविष्य में स्वच्छ हवा, पानी और स्वस्थ जीवन की नींव रखेगा। आइए, हम सभी इस मुहिम का हिस्सा बनें और धरती माँ को हरा-भरा बनाने में योगदान दें।

विश्व पर्यावरण दिवस 

Ek Ped Maa Ke Naam 2.0 Highlights

विशेषता विवरण
शुभारंभ 5 जून, 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई दिल्ली के महावीर जयंती पार्क में।
अवधि 5 जून, 2025 से 30 सितंबर, 2025 तक।
लक्ष्य 10 करोड़ पेड़ लगाना (2024 में 109 करोड़ पेड़ लगाए गए थे)।
उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, मातृत्व के प्रति सम्मान, जलवायु परिवर्तन से निपटना, और जन जागरूकता बढ़ाना।
थीम विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम: “भूमि पुनर्जनन, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता”।
मुख्य पहल मिशन लाइफ (Lifestyle for Environment) के तहत संचालित, ‘संपूर्ण सरकार’ और ‘संपूर्ण समाज’ दृष्टिकोण।
इको क्लबों की भूमिका 14.7 लाख स्कूलों में इको क्लब स्थापित, प्रत्येक स्कूल को न्यूनतम पौधे रोपने का लक्ष्य (प्राइमरी: 70, मिडिल: 100, उच्च: 150)।
पौधों के प्रकार छायादार (नीम, पीपल), फलदार (आंवला, जामुन), और औषधीय पौधे।
जन सहभागिता व्यक्ति, समुदाय, स्कूल, कॉलेज, गैर-सरकारी संगठन, और सरकारी विभाग शामिल।
डिजिटल मंच मेरी लाइफ पोर्टल और इको क्लब पोर्टल के माध्यम से गतिविधियों का रिकॉर्ड और निगरानी।
क्षेत्रीय प्रयास - उत्तर प्रदेश: NHAI द्वारा 5.12 लाख पेड़, बागपत में 40,000 पेड़।
- छत्तीसगढ़: 2.75 करोड़ पौधों का लक्ष्य।
- कानपुर देहात: 57.22 लाख पौधे।
पर्यावरणीय प्रभाव कार्बन अवशोषण, भूमि क्षरण पर नियंत्रण, जैव विविधता संरक्षण, भूजल स्तर में सुधार।
सामाजिक प्रभाव मातृत्व के प्रति भावनात्मक जुड़ाव, युवाओं में जागरूकता, समुदाय एकता।
पौधों की देखभाल स्थानीय समुदायों और अधिकारियों को निगरानी और सिंचन की जिम्मेदारी।
प्रोत्साहन छत्तीसगढ़ में योगदानकर्ताओं को स्वतंत्रता दिवस और वानिकी दिवस पर सम्मान की योजना।
चुनौतियाँ पौधों की दीर्घकालिक देखभाल, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी, संसाधन उपलब्धता।
भविष्य की योजनाएँ 140 करोड़ पेड़ों का लक्ष्य, डिजिटल एकीकरण, पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर वृक्षारोपण।

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 

अभियान का उद्देश्य

‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और मातृत्व के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करना है। यह अभियान माताओं के जीवनदायिनी और पोषण करने वाले गुणों को पेड़ों के साथ जोड़ता है, जो प्रकृति के पोषण और संरक्षण का प्रतीक हैं। इस पहल के तहत, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी माँ या धरती माँ के नाम पर एक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह अभियान निम्नलिखित लक्ष्यों पर केंद्रित है:

  • पर्यावरण संरक्षण: जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण, और प्रदूषण जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण को बढ़ावा देना।
  • जन जागरूकता: समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से युवाओं और बच्चों, में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी का भाव विकसित करना।
  • मातृत्व का सम्मान: माताओं के प्रति प्रेम और सम्मान को व्यक्त करने के लिए एक भावनात्मक मंच प्रदान करना।
  • सतत विकास: भारत के 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देना।
  • जन सहभागिता: ‘संपूर्ण सरकार’ और ‘संपूर्ण समाज’ नीति के तहत सभी नागरिकों, संगठनों, और सरकारी विभागों को इस अभियान में शामिल करना।

अभियान का शुभारंभ

‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान का शुभारंभ 5 जून, 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हुआ। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के महावीर जयंती पार्क में एक पौधा रोपकर इस अभियान की शुरुआत की। इस समारोह में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, और गुजरात के मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों से भाग लिया, जिससे इस अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर गति मिली। साथ ही, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली के पीएम श्री केवी स्कूल में इस अभियान के तहत एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें इको क्लब पोर्टल और माइक्रोसाइट लॉन्च की गई।

Ek Ped Maa Ke Naam 2.0

यह अभियान 5 जून से 30 सितंबर, 2025 तक चलेगा और इस दौरान देशभर में 10 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले वर्ष 2024 में इस अभियान के तहत 109 करोड़ पेड़ लगाए गए थे, और इस बार यह संख्या और बढ़ाने का लक्ष्य है।

ग्लोबल विंड डे 

अभियान की संरचना और कार्यान्वयन

‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान को मिशन लाइफ (Lifestyle for Environment) के तहत संचालित किया जा रहा है। मिशन लाइफ भारत सरकार की एक पहल है, जो पर्यावरण के प्रति टिकाऊ जीवनशैली को बढ़ावा देती है। इस अभियान को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाई गई हैं:

इको क्लबों की भूमिका: देशभर के 14.7 लाख स्कूलों में इको क्लब स्थापित किए गए हैं, जो इस अभियान को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन क्लबों के माध्यम से बच्चों, अभिभावकों, और स्थानीय समुदाय को पौधारोपण गतिविधियों में शामिल किया जा रहा है। प्रत्येक स्कूल को न्यूनतम पौधों की संख्या रोपने का लक्ष्य दिया गया है, जैसे प्राइमरी स्कूलों में 70, मिडिल स्कूलों में 100, और उच्च विद्यालयों में 150 पौधे।

विभागीय सहयोग: इस अभियान में वन विभाग, उद्यान विभाग, पंचायती राज, नगरीय प्रशासन, और शिक्षा विभाग जैसे विभिन्न सरकारी विभाग शामिल हैं। नर्सरियों के माध्यम से मुफ्त पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं, और राष्ट्रीय राजमार्गों, स्कूल परिसरों, और सार्वजनिक स्थानों पर वृक्षारोपण को प्राथमिकता दी जा रही है।

जन सहभागिता: अभियान को जन आंदोलन बनाने के लिए व्यक्तियों, समुदायों, गैर-सरकारी संगठनों, और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कवर्धा, छत्तीसगढ़ में, कलेक्टर गोपाल वर्मा ने जनप्रतिनिधियों, किसानों, महिलाओं, और युवाओं को इस अभियान में शामिल करने के निर्देश दिए हैं।

पौधों की देखभाल: केवल पौधे लगाना ही पर्याप्त नहीं है; उनकी देखभाल भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। अभियान के तहत पौधों की वृद्धि की निगरानी और संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने अधिकारियों को पौधों की निगरानी के लिए जिम्मेदारी सौंपने के निर्देश दिए हैं।

डिजिटल पहल: मेरी लाइफ पोर्टल और इको क्लब पोर्टल के माध्यम से पौधारोपण गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जा रहा है। यह पोर्टल बहुभाषी है और स्कूलों को अपनी गतिविधियों को अपलोड करने के लिए डैशबोर्ड प्रदान करता है।

क्षेत्रीय प्रयास और प्रभाव

‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान को देश के विभिन्न हिस्सों में उत्साह के साथ लागू किया जा रहा है। कुछ प्रमुख क्षेत्रीय प्रयास निम्नलिखित हैं:

उत्तर प्रदेश: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने बागपत में दिल्ली-देहरादून कॉरिडोर पर 40,000 पेड़ लगाने का अभियान शुरू किया है। अब तक NHAI ने देशभर में 5.12 लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं। झज्जर में 2 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें छायादार और औषधीय पौधे जैसे नीम, पीपल, जामुन, और आंवला शामिल हैं।

छत्तीसगढ़: इस राज्य में 2.75 करोड़ पौधों का रोपण करने का लक्ष्य है। उप मुख्यमंत्री अरुण साव और वन मंत्री केदार कश्यप ने इस अभियान की समीक्षा की और स्कूलों, कॉलेजों, और नगरीय निकायों में व्यापक जन सहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

कानपुर देहात: यहाँ 57.22 लाख Pौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें त्रिवेणी वन, अटल वन, और गोपाल वन जैसे क्षेत्र विकसित किए जाएंगे।

सुल्तानपुर: वन विभाग ने विशेष जनजागरूकता अभियान, कार्यशालाएँ, और संगोष्ठियाँ आयोजित कीं, जिसमें छायादार और फलदार पौधों के रोपण पर जोर दिया गया।

Join the Movement – Ek Ped Maa Ke Naam 2.0 Participation Form

Ek Ped Maa Ke Naam 2.0 Participation Form

पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव

‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान का पर्यावरण और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है:

पर्यावरणीय लाभ: 

  • जलवायु परिवर्तन में कमी: वृक्षारोपण से कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण बढ़ेगा, जो ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करेगा।
  • भूमि क्षरण पर नियंत्रण: पेड़ मिट्टी को स्थिर करते हैं और भूमि क्षरण को रोकते हैं, जो इस वर्ष की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम से मेल खाता है।
  • जैव विविधता संरक्षण: छायादार और औषधीय पौधों के रोपण से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती मिलेगी।
  • भूजल स्तर में सुधार: पेड़ जल संरक्षण में मदद करते हैं, जिससे भूजल स्तर में सुधार होता है।

सामाजिक प्रभाव:

  • भावनात्मक जुड़ाव: यह अभियान माताओं के प्रति सम्मान और प्रेम को व्यक्त करने का एक अनूठा मंच प्रदान करता है। प्रत्येक पेड़ एक माँ के नाम पर रोपा जाता है, जो भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से गहरी छाप छोड़ता है।
  • युवा प्रेरणा: स्कूलों और कॉलेजों में इको क्लबों के माध्यम से युवाओं में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव विकसित हो रहा है।
  • समुदाय एकता: यह अभियान समुदायों को एक साथ लाता है, जिससे सामाजिक एकता और सहयोग बढ़ता है।

चुनौतियाँ और समाधान

किसी भी बड़े पैमाने के अभियान की तरह, ‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ को भी कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:

  • पौधों की देखभाल: रोपे गए पौधों की दीर्घकालिक देखभाल एक प्रमुख चुनौती है। इसके लिए स्थानीय समुदायों और अधिकारियों को पौधों की निगरानी और सिंचन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
  • जागरूकता की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ समुदायों में अभी भी पर्यावरण संरक्षण के महत्व के प्रति जागरूकता की कमी है। इसके लिए कार्यशालाएँ और जागरूकता अभियान आयोजित किए जा रहे हैं।
  • संसाधन उपलब्धता: मुफ्त पौधों की उपलब्धता और वितरण को सुनिश्चित करना एक चुनौती है। वन विभाग और अन्य सरकारी निकाय इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।

भविष्य की योजनाएँ

‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए भविष्य में निम्नलिखित योजनाएँ बनाई गई हैं:

  • लंबी अवधि के लक्ष्य: 2024 में 80 करोड़ और मार्च 2025 तक 140 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे 2025 में और बढ़ाया जाएगा।
  • डिजिटल एकीकरण: मेरी लाइफ पोर्टल को और अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाया जाएगा, ताकि लोग अपने रोपे गए पौधों की प्रगति को आसानी से ट्रैक कर सकें।
  • सम्मान और प्रोत्साहन: छत्तीसगढ़ में वन मंत्री केदार कश्यप ने सुझाव दिया है कि इस अभियान में महत्वपूर्ण योगदान देने वालों को स्वतंत्रता दिवस और वानिकी दिवस पर सम्मानित किया जाए।
  • वृक्षारोपण का विस्तार: राष्ट्रीय राजमार्गों, पर्यटन स्थलों, और धार्मिक स्थानों पर वृक्षारोपण को और बढ़ावा दिया जाएगा।

निष्कर्ष / Conclusion

‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान 2025 पर्यावरण संरक्षण और मातृत्व के प्रति श्रद्धा का एक अनूठा संगम है। यह अभियान न केवल भारत के पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान दे रहा है, बल्कि यह समाज में एकता, जागरूकता, और भावनात्मक जुड़ाव को भी बढ़ावा दे रहा है। प्रत्येक पेड़ जो इस अभियान के तहत रोपा जाता है, वह न केवल धरती माता की रक्षा करता है, बल्कि माताओं के प्रति प्रेम और सम्मान का प्रतीक भी बनता है।

यह अभियान हमें यह सिखाता है कि पर्यावरण संरक्षण केवल एक कार्य नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। प्रत्येक व्यक्ति, समुदाय, और संगठन को इस जन आंदोलन में शामिल होकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। आइए, हम सब मिलकर ‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ को एक ऐसी क्रांति बनाएँ, जो न केवल हमारी धरती को हरा-भरा बनाए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य भी सुनिश्चित करे।

‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान 2025 (FAQ)

Q. ‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान क्या है?

यह भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक वृक्षारोपण अभियान है, जो पर्यावरण संरक्षण और मातृत्व के प्रति सम्मान को बढ़ावा देता है। इसके तहत लोगों को अपनी माँ या धरती माँ के नाम पर पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह अभियान मिशन लाइफ (Lifestyle for Environment) का हिस्सा है।

Q. अभियान का शुभारंभ कब और किसने किया?

‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान का शुभारंभ 5 जून, 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई दिल्ली के महावीर जयंती पार्क में किया गया।

Q. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य क्या है?  

  • पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वृक्षारोपण को बढ़ावा देना।  
  • मातृत्व के प्रति सम्मान व्यक्त करना।  
  • जन जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाना।  
  • भारत के 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य में योगदान देना।

Q. अभियान की अवधि क्या है?

यह अभियान 5 जून, 2025 से 30 सितंबर, 2025 तक चलेगा।

Q. इस अभियान का लक्ष्य कितने पेड़ लगाने का है?

2025 में 10 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य है। पिछले वर्ष 2024 में 109 करोड़ पेड़ लगाए गए थे।

Q. इस अभियान में कौन-कौन भाग ले सकता है?

कोई भी व्यक्ति, समुदाय, स्कूल, कॉलेज, गैर-सरकारी संगठन, निजी संस्थान, और सरकारी विभाग इस अभियान में भाग ले सकते हैं।

Q. पौधे कहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं?

वन विभाग, उद्यान विभाग, और अन्य सरकारी नर्सरियों से मुफ्त पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और इको क्लबों से संपर्क किया जा सकता है।

Q. किन प्रकार के पौधे रोपे जा रहे हैं?

छायादार पौधे (जैसे नीम, पीपल, बरगद), फलदार पौधे (जैसे आंवला, जामुन), और औषधीय पौधे इस अभियान के तहत रोपे जा रहे हैं।

Q. स्कूलों और इको क्लबों की क्या भूमिका है?

देशभर के 14.7 लाख स्कूलों में इको क्लब स्थापित किए गए हैं, जो बच्चों, अभिभावकों, और समुदायों को वृक्षारोपण के लिए प्रेरित कर रहे हैं। स्कूलों को न्यूनतम पौधों का लक्ष्य दिया गया है, जैसे प्राइमरी स्कूलों में 70, मिडिल स्कूलों में 100, और उच्च विद्यालयों में 150 पौधे।

Q. मेरी लाइफ पोर्टल और इको क्लब पोर्टल क्या हैं?

मेरी लाइफ पोर्टल और इको क्लब पोर्टल डिजिटल मंच हैं, जहाँ पौधारोपण गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जाता है। ये बहुभाषी पोर्टल स्कूलों और व्यक्तियों को अपनी गतिविधियों को अपलोड करने के लिए डैशबोर्ड प्रदान करते हैं।

Q. क्या इस अभियान में भाग लेने के लिए कोई पंजीकरण आवश्यक है?

नहीं, व्यक्तिगत स्तर पर पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। हालांकि, स्कूलों और संगठनों को अपनी गतिविधियों को मेरी लाइफ पोर्टल पर अपलोड करने के लिए पंजीकरण करना पड़ सकता है।

Q. क्या इस अभियान में कोई प्रोत्साहन या सम्मान दिया जाएगा?

हाँ, कुछ राज्यों जैसे छत्तीसगढ़ में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को स्वतंत्रता दिवस और वानिकी दिवस पर सम्मानित करने की योजना है।

Q. क्या यह अभियान केवल भारत तक सीमित है?

हाँ, यह अभियान मुख्य रूप से भारत में चलाया जा रहा है, लेकिन इसका संदेश वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण और मातृत्व के सम्मान को प्रेरित कर सकता है।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post